अपने वयानों के लिए चर्चित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) के खिलाफ अपनी जुबान खोली तो बीजेपी ने उन पर पलटवार शुरू कर दिया. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्विटर पर इस मामले में तंज कसा तो कांग्रेस भी हमलावर हो गई. एमपी सरकार में मंत्री जयवर्धन सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि अब उनका राज नहीं है, वह तो व्यापमं के इतिहास में हैं. थोड़ा इंतज़ार कीजिए... दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के विवादित बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस समय तंज कसने में लगी है. बीजेपी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले के लिए कांग्रेस ने अपने ब्रह्मास्त्र को उतार दिया है. मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि मैं हर कुर्बानी देने को तैयार मंगलवार को दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि देखते हैं किसका हाथ मजबूत है, हमारा या कातिलों का. शाहीन बाग में मणिशंकर अय्यर ने कहा, 'जो मैं आपके लिए कर सकता हूं वो मैं करने को तैयार हूं. मैं ये वादा करता हूं. आप सबके सामने वादा करता हूं. जो कुछ सहारा भी आप मुझ से चाहते हैं वो मैं देने को तैयार हूं और जो भी कुर्बानियां देनी हों, उसमें मैं भी शामिल होने को तैयार हूं. अब देखें कि किसका हाथ मजबूत है, हमारा या उस कातिल का?'
शिवराज ने कसा अय्यर पर तंज
इसी बयान के आधार पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसते हुए ट्विटर पर लिखा, " झूठ टूट कर ज़ोर-ज़ोर से शोर मचा गया, हर एक सच्चे इंसान को अपना कातिल बता गया. जो न मणि है ना था जो कभी शंकर, वो अपनी ऐयारी के तेवर सब को बता गया."
शिवराज सिंह पर जयवर्धन सिंह का पलटवार
जैसे ही शिवराज सिंह चौहान ने यह ट्वीट किया तो मध्य प्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने पलटवार करते हुए उनकी दुखती रग को छेड़ दिया. जयवर्धन सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, " ना तो "शिव" में हो, ना "राज" में हो, आप तो 'व्यापमं' के इतिहास में हो....थोड़ा इंतज़ार कीजिए ..."
क्या है व्यापमं घोटाला
व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया. यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया. हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और उसने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करति रही. 9 जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की. सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, बीजेपी नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिंद्रा इस मामले में जेल जा चुके हैं. इस मामले में दो हजार से अधिक लोग जेल जा चुके हैं और चार सौ से अधिक अब भी फरार हैं. वहीं, 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.